नौटंकी किताब पुजा के फूल उर्फ विश्वासघात

नमस्कार दोस्तों अमरजीत नौटंकी कथा कहानी में आपका स्वागत है 

दोस्तों में आपके लिए नौटंकी प्रोग्राम के सभी नौटंकी संगीतों की कहानी बहुत जल्द एक-एक करके आपके सामने लाने की कोशिश करूंग ।

आज हम आपको नौटंकी किताब की एक ऐसी नौटंकी कहानी के बारे में बताएंगे जो एक अत्याचारी मां और एक अंधी राजकुमारी की है इस कहानी में एक राजा होता है उनकी एक पुत्री रेखा जो जन्म से अंधी होती है और एक पुत्र जिसका नाम फूल सिंह है राजा अपनी पहली रानी के स्वर्गवास होने पर दूसरी शादी कर लेता है। 

आइए दोस्तों हम इस नौटंकी कहानी को संगीत के माध्यम से विस्तार  से जाने।।

Nautanki saaz
Nautanki saaz

नौटंकी   

संगीत पूजा के फूल

उर्फ  

                   विश्वासघात


रामू जख्मी 

कवि    
दोहा -- एक  मुल्क गुजरात है, एक मुल्क आसाम।  
          दोनों के है मध्य का, मुल्क बड़ा सरनाम।  ।
चौ०-मुल्क बड़ा सरनाम रियासत समर सिंह की प्यारी।
        बेटी थी अन्धी राजन को यह चिन्ता थी भारी ।।    
 जन्म एक बेटे को देकर स्वर्ग गई महतारी।
            ब्याह रचा करके राजन ले आये दूसरी नारी।।             दौड़--बेटी हो गई सयानी जी, उससे जलती महरानी जी।
 एक दिवस की बात ।
नींद नहीं आती राजन को सारी-सारी रात ।। 



(सीन बनाइये-- दरबार में महाराज समर सिंह उदास 
होकर बैठे रहते हैं, उसी समय सेनापति आता है।)
    

सेनापति
ब०त० --बात क्या है महाराज बतलाइये, चेहरे पर क्यों उदासी नजर आ रही। आज तक ऐसी हालत न थी आपकी, 
बिगड़ी रंगत ये खासी नजर आ रही।। 


समर सिंह
ब०त०–सेनापति बोझ सर पर भारी मेरे, मेरी रेखा सुता जो नयनहीन है। हो गयी है सयानी है चिन्ता बड़ी, या विधाता क्यों आँखें लिया छीन है ।। 

सेनापति
ब०त०-महाराज जी सब्र से काम लो, बेटी के योग्य वर आप      ढुढ़ँवाइये। लेकर शादी का पैगाम महाराज जी, 
रेखा बेटी की शादी को रचवाइये ।। 

समर सिंह 
बoत०- धीर कैसे धरूँ सब्र कैसे करूँ, लगता है बेटी क्वांरी
           ही रह जायेगी। कौन है अन्धी बेटी जो अपनायेगा 
उम्र भर घर में कैसे रह पायेगी ।। 

सेनापति-
वार्ता-महाराज आप चिन्ता न करें। भला संसार में किसी की
 बेटी बिना ब्याही रह जाती है। नहीं, महाराज नहीं ! 
बेटी की शादी जरूर होगी ।। 

समर सिंह
वार्ता-सेनापति ! आज हमारे पूरे परिवार को मेरे पास बुला 
लाओ। (सीन--बनाइये सेना पत्ती जाना तथा पूरे 
परिवार को बुलाकर लाना)
     



फूल सिंह ने  आपने पिता जी से  क्या कहा। आप इस 
नौटंकी वीडियो के माध्यम से देखें इस बटन को दबाया
 👇

                  
फूल सिंह 
कौ०-पिताजी बात है कैसी क्यों आँखों में अश्क आई है।।
         कयामत कैसे आँखों पर पिताजी रंग लाई है।। 
         सखुन को देखकर बाबू जिगर में बेकरारी है। 
         बयाँ कुछ कीजिये कैसे बदरिया गम की छाई है।। 

समर सिंह
कौ०- सयानी बेटी के खातिर जिगर में बेकरारी है। 
         इसी के वास्ते सर पर हमारे बोझ भारी है ।।
         फिकर है कौन बेटी को मेरे अपना बनायेगा ! 
       सयानी हो गई लेकिन अभी तक जो कुँवारी है।। 

फूल सिंह 
कौ०- पिताजी धूम से बहना की शादी मैं रचाऊँगा। 
        इजाजत दीजिये मुझको अभी वर ढूँढ लाऊँगा ।। 
        सयानी है बहन घर में मुझे भी बेकरारी है।
      एक दिन अपनी बहना को खुदी डोली बिठाऊँगा ।। 
 
समर सिंह
को०- हमारी लाडली बेटी से जो शादी रचायेगा।
         हमारे आधी रइयत पर हुकूमत वो चलायेगा।।
        नहीं इन्कार कर सकता दिखा दूँगा मैं दुनियों को। 
         हमारे सामने बेटी को जो दुल्हन बनायेगा।। 

रानी 
ब०त०-ऐसी बेटी विधाता किसी को न दें, जो कि परिवार का
 एक काँटा बने। मेरे बेटे की भी शादी होगी नहीं, 
आयेगी बात एक दिन मेरे सामने।।

रेखा
ब०त०- माता जी माफ कर दो हमारी खता, आपके घर से 
खुदी मैं चली जाऊँगी। कौशल भइया की शादी करो
   धूम से, अब दुबारा यहाँ मुँह न दिखलाऊँगी। ।


रानी
ब०त०- जा चली जा इसी में भलाई तेरी,
           पूरे  परिवार का सुख लिया छीन है।
           जन्मते ही नहीं बेहया मर गई, बन 
            गई काम के प्रति नयनहीन है ।। 

रेखा
बoत०-पाँव पड़ती हूँ माँ झूठ क्यों बोलती, मेरे
   आँखों से माता दिखाता नहीं। ऐसा इल्जाम माता लगाओ नहीं, कुछ समझ इस समय मेरे आता नहीं ।।

रानी
-वार्ता-चली जायेगी तो क्या मुझे ले जायेगी। जाकर
 मर जा कहीं चुल्लू भर पानी में । 

फूल सिंह
-वार्ता-माँ ! अगर मेरे बहन को कुछ कहा तो
मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। 

समर सिंह
बoत०- मेरे बच्चों को गरचे कहा कुछ अगर, शान 
शौकत तुम्हारी भुला दूँगा मैं। तू है माँ बच्चों की या है नागिन कोई, कोड़ों से खाल तेरी उड़ा दूँगा मैं ।।

रानी 
ब०त०-बच्चे तो आपके वास्ते सब हुये, मैं 
ही घर में पराई हूँ आयी हुई। जा रही हूँ  खुदी
 अपने मैके चली,जैसे आई हूँ घर से भगाई हुई।। 

(सीन बनाइये महाराज रानी को पचीसों 
कोड़े मारते हैं, रानी वहाँ से चली जाती है।) 

समर सिंह
-वार्ता- बेटा फूल सिंह ! अब मैं जा रहा हूँ। अपनी बहन का ख्याल रखना । 

फूल सिंह-वार्ता- ठीक है पिताजी ! मैं अपनी बहन पर 
कोई आँच नहीं आने दूँगा। 
( सीन बनाइये सभी लोग चले जाते हैं।
       रानी रात में सेनापति को बुलाती हैं। 


सेनापति 
को०- बुलाया मुझे किसलिये रात रानी।
      बहाती हो क्यों आप आँखों से पानी।।  
       महारानी जी आपको कैसा गम है। 
       सुनाओ सभी सेनापति से कहानी।। 

रानी 
कौ०-बिगड़ती चली जाती हालत हमारी। 
         मदद की जरूरत पड़ी है तुम्हारी ।। 
         नहीं बूढ़े पति हैं मेरे काम काबिल ।
         तड़पती ही रह जाती हूँ रात सारी।। 

सेनापति
कौ०- महारानी जी क्या ये नगमा सुनाया। 
       नहीं आपका मकसद मैं जान पाया।।  
        हमारी मदद आपको कैसी चाहिये।
        खुलासा नहीं माजरा क्यों बताया ।। 

रानी 
कौ०-समझदार होकर करो ना नादानी ।
        नहीं मेरी बरबाद करिये जवानी।।
         मचलते हैं अरमाँ जिगर में हमारे। 
      पिला दो मुहब्बत की प्यासी को पानी।। 

सेनापति
ब०त०-ऐ महारानी जी सोचो क्या कह रही,
दाग कुल में अपने लगाती हो क्यों। आपका काम 
मुझसे न हो पायेगा, ऐसी उम्मीद मुझसे लगाती हो क्यों ।। 

रानी
च०त०-सेनापति आपसे आरजू है यही, 
     हूँ तड़पती खुदी अब तड़पाओ नहीं।
     मुद्दत की प्यासी हूँ भीख मैं माँगती, 
     पाँव पड़ती हूँ ज्यादा सताओ नहीं।। 

सेनापति 

दोहा-बार बार समझा रहा, करो न रानी तंग । 
मुझ पर चढ़ सकता नहीं, चढ़ा रही जो रंग ।। 

रानी 
दोहा--तरस अगर खाते नहीं देख के मेरा हाल। तेरे बदन की खींचती हूँ कोड़ों से खाल।। 

( सीन बनाइये- रानी सेनापति को कोडों से पीट-पीटकर बेहाल कर देती है। बाद में सेनापति से जब मार बर्दाश्त नहीं होती तो वह राजी हो जाता है।)

सेनापति 
ब०त०- बस करो बस करो ऐ महारानी जी, आपकी 
शर्त मुझको सब मन्जूर है। जो कहोगी वही करके दिखलाऊँगा, सेनापति हो गया आज मजबूर है।।

रानी
व०त०- सेनापति राजन को भेजो मुल्के अदम, शादी कर लो खुशी से मेरे साथ में। सारी जागीर के मालिक बनके रहो, उम्र भर मौज लूटो मेरे साथ में ।। 

सेनापति-वार्ता-महारानी जी ! आप चिन्ता न करें।
 मैं. आज ही राजन को ठिकाने लगा दूँगा। 

रानी-वार्ता-जाओ ! मगर इतना याद रखना जब तक यह काम पूरा न कर लेना अपनी सूरत मुझे मत दिखाना। 

( सीन -बनाइये सेनापति चला जाता है।रानी रेखा को बुलवाती है तथा घर के सारे कपड़े इकट्ठा करके रेखा से  कहती है।) 

रानी
ब०त०- मेरी बातों को रेखा सुनो ध्यान से, साफ कपड़े सभी करके ले आओ तुम। यह घड़ा लेकर फौरन नदी पर तू जा, एक घड़ा पानी भर करके ले आओ तुम।।

रेखा 
ब०त०-पानी भरने भला कैसे जाऊँगी माँ, कपड़े धोने
 की तो बात ही दूर है। अन्धी बेटी को माता सताओ
 नहीं, क्योंकि मुझको विधाता किया सूर है।।

रानी
बoत०-खूब खा करके मोटी हुई बेहया, काम में 
अन्धेपन का बहाना करे। आज से काम तुमसे
 कराऊँगी में, चाहे शिकवा हमारा जमाना करे ।। 

रेखा 
ब०त०- माता जी कोई शिकवा करूँगी नहीं, 
          दीजिये कपड़े सब धोके लाऊँगी मैं। 
            जितना भी सेवा होगा करूँगी आपकी, 
आपके वास्ते पानी भी लाऊँगी मैं ।। 

( सीन बनाइये रेखा कपड़े का गट्ठर और घड़ा लेकर चल देती है रास्ते में रेखा को ठोकर लग जाती है। कपड़े का गट्ठर गिर जाता है। घड़ा फूट जाता है। क्या करे मजबूर थी। डरते-डरते किसी तरह घर आती है। रेखा को खाली हाथ देखकर रानी क्रोधित हो जाती है। हाथ में कोड़ उठाकर। 

रानी
कौ०–कपड़े कहाँ छोड़ आई कमीनी।
         घड़े को कहाँ फोड़ आई कमीनी ।।
         मेरे आँख से दूर हो जा अभी तू । 
         नहीं काम में दिल लगाई कमीनी ।। 

रेखा 
कौ०- मेरी माँ मुझे इस तरह न मारो । 
        मेरे आबरू का न आँचल उघारो।।    
        दिखाता नहीं मैं हूँ मजबूर माता । 
        महल से मेरी माँ मुझे न निकालो।। 

रानी
कौ०-तुझे बेहया ना शरम क्यों है आती।
        बिना मार खाये ही आँसू बहाती। 
        नहीं काम करती है हरजाई कोई। 
       मेरे घर में तू बैठ करके है खाती।। 

रेखा
कौ०-अभी छोड़कर घर चली जाऊँगी माँ।   
        कभी घर में वापस नहीं आऊँगी माँ।। 
        सितम इस तरह से नहीं मुझपे ढाओ। 
          दुबारा नहीं मुँह दिखलाऊँगी माँ ।।


आगे की कहानी हमारे  दूसरे पोस्ट भाग -2  देखें
 अगर  इस पोस्ट  की कहानी अच्छी लगी तो हमें 
कमेंट बॉक्स में कमेंट करें धन्यवाद 



Comments

  1. किताब डालते हो तो पूरा डालो जैसे कि किसी का काम में आ जाए। इसका अगला भाग अपलोड कीजिए। और अलग - अलग किताबें अपलोड कीजिए ताकि हमलोग अपने गांव में मनोरंजन कर सके। जिससे आपका नाम सदा बना रहेगा। Please,🙏🙏🙏🙏🙏🙏📚📚📚📚📚🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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